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Monday, 18 August 2014

२६. घालीन लोटांगण


घालीन लोटांगण,  वंदीन चरण,
डोळ्यांनी पाहीन रूप तुझें  ॥
प्रेमे  आलिंगिन,  आनंदे पूजिन,
भावें ओंवाळिन नामा  ॥ १ ॥

त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव  |
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्वं मम देव देव  ॥ २ ॥

कायेन वाचा मनसैन्द्रियैर्वा,
बुद्ध्याऽऽत्मना वा प्रकृतिस्वभावत्  |
करोमि यद्यत् सकलं परस्मै,
नारायणायेति समर्पयामि  ॥ ३ ॥

अच्युतं केशवं रामनारायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरीम्  |
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे  ॥ ४ ॥

॥  हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे  |
॥  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हर  ॥ ५ ॥

२५. धूप दीप झाला आता कापूर आरती


धूप दीप झाला आता कापूर  आरती  | देवा कापूर आरती  ॥
रत्नजडित सिंहासनी     भगवंता मूर्ती  ॥ धृ ॥

कर्पूरासम निर्मल माझे मानस राहू दे  ॥
देवा मानस राहू दे  ॥
कर्पूरासम भावभक्तीचा     सुगंध वाहू दे  ॥  धूप दीप...

कापुराची लावून ज्योती पाहीन तव मूर्ती  ॥
देवा पाहीन तव मूर्ती  ॥
नयनी साठवू     ही भगवंत मूर्ती  ॥ २ ॥  धूप दीप...

ज्ञान कळेना ध्यान कळेना  |  कळेना काही  ॥
देवा कळेना काही  ॥
शब्दरूपी गुंफूनी माळा   ,  वाहतसे पायी  ॥ ३ ॥ धूप दीप...

नेत्री ध्यान मुखी नाम, हृदयी तव मूर्ती  ॥
देवा हृदयी तव मूर्ती  ॥
भावभक्तीने केली देवा,  कापूर आरती  ॥ ४ ॥  धूप दीप...

 

२४. कापराची ज्योत देवा ओवाळू तुजला


कापराची ज्योत देवा ओवाळू तुजला     ॥
देहंभावे अहंभाव चरणी वाहिला  ॥ धृ ॥

नामस्मरणे मात्र देवा कृपा मज केली     ॥
भक्ता वर द्याया,  मूर्ती प्रसन्न जाहली  ॥ १ ॥
कापराची ज्योत...

दया क्षमा शांती देवा उजळल्या ज्योती     ॥
स्वयंप्रकाशित पाहिली भगवंत मूर्ती  ॥ २ ॥
कापराची ज्योत...

आनंदाने भावे कापूर आरती केली,
हो देवा आरती केली  ॥
नित्यानंदे सगुण स्वामीच्या
परमानंदे सगुण स्वामीच्या
चरणी वाहिली  ॥ ३ ॥
कापराची ज्योत... 

२३. अक्कलकोटनिवासी श्रीस्वामीसमर्था


अक्कलकोटनिवासी श्रीस्वामीसमर्था
जय जय गुरुअवतारा पदीं ठेवी माथा  ॥

नृसिंहसरस्वती अवतारा संपविले
कर्दळीवनात जाऊनि तपाचरण केले
नवरूपां धारण करूनि प्रगट पुन्हा झाले
नाना नामे घेऊनि देशभ्रमण केले  ॥ १ ॥  अक्कलकोट  ॥

योगसिद्धिप्रभावे लीला तू करिसी
धर्मा संरक्षूनि जनांसी उद्धरसी
वाटे ब्रह्म प्रगटले या भूमिवरती  |
दर्शन घेता मिळते चिरसुख मनःशांती  ॥ २ ॥ अक्कलकोट ॥

आर्त भाविक साधक तुजसी शरण येता
मार्गदर्शन करूनि होसी त्या त्राता
सर्वांभूती ईश्वर बघण्या शिकविला
अनन्यभक्तां रक्षिसी आश्‍वासन देता  ॥ ३ ॥

परब्रह्म गुरुदेवा कृपा करी आता
शरण तुजसी आलो तारी अनाथा
भुक्ति-मुक्ति  सद्गती  देई भगवंता
गुरुराया अवधूता अवतारी दत्ता  ॥ ४ ॥

२२. धन्य धन्य हो प्रदक्षिणा


धन्य धन्य हो प्रदक्षिणा सद्गुरुरायाची  |
झाली त्वरा सुरवरा विमान उतरायाची  २  ॥ धृ ॥
पदोपदी अपार झाल्या पुण्याच्या राशी  |
सर्वही तीर्थे घडली आम्हां आदिकरूनि काशी  ॥
धन्य धन्य हो...

मृदंग टाळ ढोल भक्त भावार्थ गाती  |
नामसंकीर्तनें ब्रह्मानंदे नाचती  ॥ २ ॥
धन्य धन्य हो...

कोटी ब्रह्महत्या हरिती करिता दंडवत  |
लोटांगण घालिता मोक्ष लोळे पायांत  ॥ ३ ॥
धन्य धन्य हो...

गुरुभजनाचा महिमा न कळे आगमनिगमांसी  |
अनुभव ते जाणती जे गुरुपदिचे रहिवासी  ॥ ४ ॥
धन्य धन्य हो...

प्रदक्षिणा करूनि देह भावे वाहिला  |
श्रीरंगात्मज विठ्ठल पुढे उभा राहिला  ॥ ५ ॥
धन्य धन्य हो...

२१. कोटयावधी अपराधपतित मी शरण आलो तुला


कोटयावधी अपराधपतित  मी   
शरण आलो तुला     |
आई गे सांभाळी गे मला,
रेणुके सांभाळी गे मला  ॥ धृ ॥

तुझी पूजा मी जाणत नाही    ,
कैसे करू गे याला     ॥ १ ॥  आई गे...

मंत्र यंत्र ही तंत्र ही नाही    ,
माहीत नाही गे मला     ॥ २ ॥  आई गे...

गायनपण ही येतच नाही    ,
आळवू कैसे तुला     ॥ ३ ॥  आई गे...

हरि विनवितो तुझिया चरणी,
दास विनवितो तुझिया चरणी  |
करुणा येऊ दे तुला     ॥ ४ ॥  आई गे...

२०. आरती श्रीगुरुदत्ताची, आरती गुरुमाउलीची



आरती श्रीगुरुदत्ताची,  आरती गुरुमाउलीची   
अत्रिनंदना करू वंदना,  ज्योत ही परब्रह्माची     ॥ धृ ॥
आरती श्रीगुरुदत्ताची,  आरती गुरुमाउलीची   

दत्तरूप आहे निर्गुण,  श्रीदत्तांचे चरण सगुण
अर्पूया हो तन मन धन  |  करा गुरुंचे भजन पूजन     ॥
पंचप्राणाची अन् मोक्षाची आरती वल्लभाची     ॥ १ ॥
आरती...

दत्तचरित या हो आळवू,  मनमंदिरी तया साठवू
सदा चिन्तनी नाम घेळवू,  भक्ती प्रीतीने अंग डोलवू     ॥
त्रिगुणाची औदुंबराची  |  आरती अवधूताची     ॥ २ ॥
आरती...

गर्व हरा हो पतितोद्धारा,  तारावे या भवसंसारा
पापी आम्हां तुम्ही उद्धारा,  द्यावा अंकी चरणी थारा     ॥
वदंन करितो चरणी नमितो,  ऐका हाक पतिताची     ॥ ३ ॥
आरती...

दया करावी श्रीगुरुदत्ता,  अवघ्या अवनी तुमची सत्ता
या संसारां  तरण्या आता,  मार्ग दाखवा आम्हास पुढता     ॥
जन्म कृतार्थ करि गुरुनाथा,  श्रद्धा अतंरी दीनाची     ॥ ४ ॥
आरती...

१९. हेरंब शिवकुलदीपका, तुज आरती गणनायका


हेरंब  शिवकुलदीपका,  तुज आरती  गणनायका     ॥ धृ ॥
सिंदुरासुर मर्दूनि,  सुरा सोडविले त्रासातूनि  |
देवगण तुज वंदूनि,  स्वस्थानी गेले हर्षूनि  ॥ १ ॥
हेरंब...

दर्शने तव श्रीपती,  मनःकामना सिद्धीस जाती  |
स्वयप्रंकाशित तू गजवदना,  निरांजन दीप काय तुला  ॥ २ ॥
हेरंब...

मंगलारती गुंफुनि,  ही आरती द्वारकासुत गातो  |
आरती ओवाळीतो,  आरती ओवाळीतो  ॥ ३ ॥
हेरंब...

१८. माते दर्शन मात्रे प्राणी उद्धरिसी

 
माते दर्शन मात्रे प्राणी उद्धरिसी  |
हरीसी पातक अवघें जग पावन करिसी  |
दुष्कर्मी मी रचिल्या पापांच्या राशी  |
हर हर आतां स्मरतों गति होईल कैसी  ॥ १ ॥

जय देवी जय देवी जय गंगामाई  |
पावन करिं मज सत्वर विश्वाचे आई  ॥ धृ ॥

पडले प्रसंग तैशी कर्में आचरलो  |
विषयांचे मोहानें त्यातचि रत झालो  |
ज्याचे योगें दुष्कृत सिंधुंत बुडालो  |
त्यांतून मजला तारिसी ह्या हेतूने आलो  ॥ २ ॥ जय देवी...

निर्दय यमदूत नेती त्या समयी राखी  |
क्षाळी यमधर्माच्या खात्यातील बाकी  |
सत्संगति जन अवघे तारियलें त्वा की  |
उरलों पाहे एकचि मी पतितांपैकी  ॥ ३ ॥ जय देवी...

अघहरणे जय करुणे विनवीतसे भावें  |
नोपेक्षी मज आतां त्वत्पात्री घ्यावे  |
केला पदर पुढें मी मज इतुकें द्यावे  |
जीवें त्या विष्णुच्या परमात्मनि व्हावे  ॥ ४ ॥
जय देवी…

१७. ॐ जय हनुमन्त महाबल


ॐ जय हनुमन्त महाबल,  सखा बंधु स्वामी
प्रभु सखा बंधु स्वामी  |
अंतर्ज्योत जलाओ,  अंतर्ज्योत जलाओ  |
जय अंतर्यामी ॐ जय हनुमन्त हरे  ॥ धृ ॥

नूतन युग अधिनायक,  नूतन पथ दाता  |
प्रभु नूतन पथ दाता  |
मानवमुक्तिविधायक,  मानवमुक्तिविधायक
विश्व सकल गाता  | ॐ जय हनुमन्त हरे  ||

सौम्य वदन अतिसुंदर,  मंगल मितभाषी  |
प्रभु मंगल मितभाषी
सौम्य स्वरूप सनातन,  सौम्य स्वरूप सनातन
सहृदय सुखराशि  | ॐ जय हनुमन्त हरे  ||

प्रचंड बजरंगी बाहुथी,  असुर दलो थथरे
प्रभु असुर दलो थथरे  |
रंक जनो आतंके,  रंक जनो आतंके
तब एके उगरे  | ॐ जय हनुमन्त हरे  ||

सर्व लोकमा अगाध गति तव,  ज्ञान अगाध अपार,
प्रभु ज्ञान अगाध अपार  |
परब्रह्म पुरुषोत्तम केरा,  परब्रह्म पुरुषोत्तम केरा,
प्रगट प्रेम साकार  | ॐ जय हनुमन्त हरे  ||

राजधर्म सेवानुं संगम,  अभिनव रचो अनंत  |
प्रभु अभिनव रचो अनंत  |
मिलींत कंठे मानव सहुगावे,
मिलींत कंठे मानव सहुगावे  |
जय जय जय हनुमन्त  | ॐ जय हनुमन्त हरे  ||

१६.येई हो विठ्ठले माझे


येई हो विठ्ठले माझे माउलीये  ॥

निढळावरी कर ठेवुनि वाट मी पाहें  ॥ धृ ॥


आलिया गेलिया हातीं धाडी निरोप  ॥

पंढरपुरी आहे माझा मायबाप  ॥ १ ॥

येई हो विठ्ठले...


पिवळा पीतांबर कैसा गगनी झळकला  ॥

गरुडावरी बैसोनि माझा कैवारी आला  ॥ २ ॥

येई हो विठ्ठले...


विठोबाचे राज्य आम्हां नित्य दिपवाळी  ॥

विष्णुदास नामा जीवें भावें ओवाळी  ॥ ३ ॥

येई हो विठ्ठले...


असो नसो भाव आम्हां तुझिया ठाया  |

कृपादृष्टि पाहे माझ्या पंढरीराया  ॥ ४ ॥

येई हो विठ्ठले...

१५. जय देवी सप्तश्रृंगा अंबा गौतमी


जय देवी सप्तश्रृंगा अंबा गौतमी गंगा
नटली ही बहुरंगा उटी शेंदुर अंगा
जय देवी सप्तश्रृंगा  ॥ धृ ॥

पूर्व मुख अंबे ध्यान जरा वाकडी मान
मार्कंडेय देई कान सप्तशतीचे पान
एके अंबा गिरि श्रृंगा,  अंबा गौतमी गंगा
जय देवी सप्तश्रृंगा  ॥ १ ॥

माये तुझा बहु थाट देई सगुण भेट
प्रेम पान्हा एक घोट भावे भरले पोट
करू नको मनभंगा,  अंबा गौतमी गंगा
जय देवी सप्तश्रृंगा  ॥ २ ॥

महिषीपुत्र म्हैसासुर दृष्टी कामे असुर
करि दाल समशेर क्रोधे उडविली शिर
शिवशक्ती शिवगंगा,  अंबा गौतमी गंगा
जय देवी सप्तश्रृंगा  ॥ ३ ॥

निवृत्ति हा राधासुत अंबे आरती गात
अठराही तुझे हात भक्तां अभय देत
चरणकमल मनभंगा,  अंबा गौतमी गंगा
जय देवी सप्तश्रृंगा  ॥ ४ ॥

१४. जय जय भवानी, मनरमणी


जय जय भवानी,  मनरमणी,  मातापुरवासिनी  |
चवदा भुवनांची स्वामिनीमहिषासुरमर्दिनी  |
जय जय भवानी  धृ

नेसूनि पाटाऊपिवळा हार शोभती गळा  |
हाती घेऊनिया त्रिशूळा भाळी कुंकुम टिळा 
जय जय भवानी 

अंगी लेवूनिया काचोळीवर मोत्याची जाळी  |
हृदयी शोभतसे,  पदकमळी कंठी हे गरसोळी 
जय जय भवानी 

पायी घागरियाघूळघूळ नाकी मुक्ताफळ  |
माथा केश हे कुरळनयनीही काजळ 
जय जय भवानी   

सिंहावरी तू बैसून मारिसी दानवगण  |
तुजला विनवितीनिशिदिन गोसाविनंदन 
जय जय भवानी 

१३. महिषासुरमर्दिनीमातेची आरती


माते गायत्री, सिंहारूढ भगवती - महिषासुरमर्दिनी,
क्षमस्व चण्डिके  |
जय दुर्गे,  अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ १ ॥

प्रतिपदा,  घोररूप महाकाली - असुरों को भयकारी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे,  अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ २ ॥

द्वितीया,  कनकांगी महालक्ष्मी - सर्वविघ्ननाशिनी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ३ ॥

तृतीया, महासरस्वती राज्ञी - सर्वरोगनाशिनी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ४ ॥

चतुर्थी, रक्तदन्तिका योगिनी - असुररक्तप्राशिनी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ५ ॥

पंचमी, नीलवर्ण शताक्षी - अन्नजलदायिनी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ६ ॥
षष्ठीते, श्रीरामवरदायिनी - अशुभनाशिनी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ७ ॥

सप्तमी, नन्दिनी गर्भदायिनी - श्रीकृष्णतारिणी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ८ ॥

अष्टमी, दत्तमंगला चण्डिका - श्रीगुरुभक्तिरूपा,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ९ ॥
 
नवमी, नित्या मन्त्रमालिनी - कलिमलहारिणी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ १० ॥

कृपा करो, अशुभ हरो - हे वज्रमंडलराज्ञी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ११ ॥

१२. धरियेले गे माय श्रीदत्तगुरुंचे पाय




 धरियेले गे माय श्रीदत्तगुरुंचे पाय
माये दत्तगुरुंचे पाय  |
अनसूये सांग तुजविण कोण करी उपाय  धृ  

दत्तगुरुंची आज्ञा हेचि तुझे मूळ रूप
माये तुझे मूळ रूप  |
महाविष्णुसी सांभाळिसी तू मांडीवर घेऊन 
धरियेले गे माय....

लक्ष्मी पार्वती सरस्वतीसी देसी आश्रय
माये देसी आश्रय  |
त्यांचे पति देऊनि करिसी प्रपंच प्रतिपाळ 
धरियेले गे माय....

वनवासासी निघता जानकी चूडामणि दिधला
माये चूडामणि दिधला  |
हनुमंताच्या हातूनि पुन्हा रामा पावला 
धरियेले गे माय.... 

जय माते जय त्राते भरवी घास गे मजला
माये घास गे मजला  |
आरती करितो अनिरुद्ध हा तुझा तान्हुला 
धरियेले गे माय....

Sunday, 17 August 2014

११. दुर्गे दुर्घट भारी

दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी  |
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी  ॥
वारी वारी जन्ममरणांतें वारी  |
हारी पडलो आता संकट निवारी  ॥ १ ॥

जय देवी जय देवी महिषासुरमर्दिनी  |
सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी  ॥ धृ ॥

त्रिभुवनभुवनी पाहता तुजऐसी नाही  |
चारी श्रमले परंतु न बोलवे कांही  ॥
साही विवाद करिता पडिले प्रवाही  |
ते तूं भक्तांलागी पावसि लवलाही  ॥ २ ॥  जय देवी...

प्रसन्नवदने प्रसन्न होसी निजदासा  |
क्लेशांपासुनि सोडवी तोडी भवपाशा  ॥
अंबे तुजवांचून कोण पुरविल आशा  |
नरहरि तल्लीन झाला पदपंकजलेशा  ॥ ३ ॥  जय देवी...



१०. युगे अठ्ठावीस

युगे अठ्ठावीस विटेवरी उभा  |

वामांगी रखुमाई दिसे दिव्य शोभा 

पुंडलिकाचे भेटि परब्रह्म आले गा 

चरणी वाहे भीमा उद्धारी जगा 



जय देव जय देव जय पांडुरंगा,  हो हरि पांडुरंगा 

रखुमाईवल्लभा राईच्या वल्लभा पावे जिवलगा  धृ



तुळसीमाळा गळां कर ठेवुनि कटीं |

कांसे पीतांबर कस्तुरी लल्लाटी 

देव सुरवर नित्य येती भेटी 

गरुड हनुमंत पुढे उभे राहती    जय...



धन्य वेणूनाद अनुक्षेत्रपाळा 

सुवर्णाची कमळे वनमाळा गळां 

राई रखुमाबाई राणीया सकळा 

ओवाळीती राजा विठोबा सावळा    जय...



ओवाळू आरत्या कुर्वंड्या येती  |

चंद्रभागेमाजी सोडुनिया देती 

दिंड्या पताका वैष्णव नाचती 

पढंरीचा महिमा द्वारकेचा महिमा वर्णावा किती 

जय...

आषाढी कार्तिकी भक्तजन येती,  हो साधुजन येती  ॥
चंद्रभागेमाजीं स्नानें जे करिती  ॥
दर्शनहेळामात्रें तयां होय मुक्ती  ॥
केशवासी नामदेव, माधवासी नामदेव
भावें ओंवाळिती  ॥ ५ ॥  जय...





९. जय जय जय मयूरेश्वरा पंचारति ओवाळू हरा

जय जय जय मयूरेश्वरा पंचारति ओवाळू हरा २ ॥ धृ ॥ 
जय जय जय मयूरेश्वरा 

 शोभते सुंदर कमलासन हे | रत्नजडित शिरि मुकुट विराजे ॥ 
पायी घागरा रुणझुण वाजे | श्रीधरा करुणाकरा ॥ १ ॥ जय... 

शेंदूर चर्चित केसरी टिळा | कंठी झळकती मौक्तिकमाळा | 
कटी कसूनि पीतांबर पिवळा | पाशांकुशधरहस्त फणिवरा ॥ २ ॥ जय... 

 मंगलमूर्ति पार्वतीबाळा | सुरवर मुनिजन ध्याती तुजला | 
विघ्न निवारी शमवी सकळा | कमलनयन हे मनोहरा ॥ ३ ॥ जय...

 धाव पाव रे गौरीनंदना | आलिंगुन तुज करि रे वंदना | 
पतित मी पापी शमवी सकला | श्रमलो दमलो या संसारा ॥ ४ ॥ जय... 

करुणास्तव हे परसुनि कानी | प्रगट झाली जगत्त्रयजननी | 
शरण मी आलो अति दीनवाणी | नरहरिसी दे तव पदी थारा ॥ ५ ॥ जय... 



८. कर्पूरगौरा गौरीशंकरा आरती

कर्पूरगौरा गौरीशंकरा आरती करू तुजला |
 नामस्मरणे प्रसन्न होऊनी पावसि भक्ताला ॥ धृ ॥ कर्पूरगौरा | 

धवळा नंदी वाहन शोभे अर्धांगी गौरा 
जटामस्तकी वास करीतसे गंगा सुंदरा ॥ १ ॥ कर्पूरगौरा | 

त्रिशूळ डमरू शोभत हाती गळा रुद्रमाला  |
उग्र विषातें पिऊन रक्षिसी देवा दिगपाला ॥ २ ॥ कर्पूरगौरा | 

तृतीय नेत्री निघते क्रोधे प्रलयाची ज्वाळा |
 नमिति तुजला सुरवर ऐसा शंकर तू भोळा ॥ ३ ॥ कर्पूरगौरा | 

सदया सगुणा गौरीरमणा मम संकट वारी |
 मोरेश्वरसुत वासुदेव हरि स्मरती अंतरी ॥ ४ ॥ कर्पूरगौरा | 


७. लवथवती विक्राळा

लवथवती विक्राळा ब्रह्मांडी माळा | 
विषें कंठ काळा त्रिनेत्री ज्वाळा ॥ 
लावण्यसुंदर मस्तकी बाळा | 
तेथुनिया जळ निर्मळ वाहे झुळझूळा ॥ १ ॥

जय देव जय देव जय श्रीशंकरा हो स्वामी शंकरा | 
आरती ओवाळू, भावार्थी ओवाळू तुज कर्पूरगौरा ॥ धृ ॥

कर्पूरगौरा भोळा नयनी विशाळा | 
अर्धांगी पार्वती सुमनांच्या माळा | 
विभूतीचे उधळण शितकंठ नीळा | 
ऐसा शंकर शोभे उमावेल्हाळा ॥ २ ॥
 जय देव... 

 देवी दैत्यी सागरमंथन पै केले |
त्यामाजीं अवचीत हालाहल उठिले ॥ 
ते त्वां आसुरपणे प्राशन केले | 
नीलकंठ नाम प्रसिद्ध झाले ॥ ३ ॥ 
जय देव... 

व्याघ्रांबर-फणिवरधर सुंदर मदनारि | 
पंचानन मनमोहन मुनिजनसुखकारी ॥ 
शतकोटीचे बीज वाचे उच्चारी | 
रघुकुलटिळक रामदासा अंतरी ॥ ४ ॥
जय देव ... 


 
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