Sunday, 17 August 2014

९. जय जय जय मयूरेश्वरा पंचारति ओवाळू हरा

जय जय जय मयूरेश्वरा पंचारति ओवाळू हरा २ ॥ धृ ॥ 
जय जय जय मयूरेश्वरा 

 शोभते सुंदर कमलासन हे | रत्नजडित शिरि मुकुट विराजे ॥ 
पायी घागरा रुणझुण वाजे | श्रीधरा करुणाकरा ॥ १ ॥ जय... 

शेंदूर चर्चित केसरी टिळा | कंठी झळकती मौक्तिकमाळा | 
कटी कसूनि पीतांबर पिवळा | पाशांकुशधरहस्त फणिवरा ॥ २ ॥ जय... 

 मंगलमूर्ति पार्वतीबाळा | सुरवर मुनिजन ध्याती तुजला | 
विघ्न निवारी शमवी सकळा | कमलनयन हे मनोहरा ॥ ३ ॥ जय...

 धाव पाव रे गौरीनंदना | आलिंगुन तुज करि रे वंदना | 
पतित मी पापी शमवी सकला | श्रमलो दमलो या संसारा ॥ ४ ॥ जय... 

करुणास्तव हे परसुनि कानी | प्रगट झाली जगत्त्रयजननी | 
शरण मी आलो अति दीनवाणी | नरहरिसी दे तव पदी थारा ॥ ५ ॥ जय... 



0 comments:

Post a Comment

 
Design by Wordpress Theme | Bloggerized by Free Blogger Templates | free samples without surveys