Monday 18 August 2014

२३. अक्कलकोटनिवासी श्रीस्वामीसमर्था


अक्कलकोटनिवासी श्रीस्वामीसमर्था
जय जय गुरुअवतारा पदीं ठेवी माथा  ॥

नृसिंहसरस्वती अवतारा संपविले
कर्दळीवनात जाऊनि तपाचरण केले
नवरूपां धारण करूनि प्रगट पुन्हा झाले
नाना नामे घेऊनि देशभ्रमण केले  ॥ १ ॥  अक्कलकोट  ॥

योगसिद्धिप्रभावे लीला तू करिसी
धर्मा संरक्षूनि जनांसी उद्धरसी
वाटे ब्रह्म प्रगटले या भूमिवरती  |
दर्शन घेता मिळते चिरसुख मनःशांती  ॥ २ ॥ अक्कलकोट ॥

आर्त भाविक साधक तुजसी शरण येता
मार्गदर्शन करूनि होसी त्या त्राता
सर्वांभूती ईश्वर बघण्या शिकविला
अनन्यभक्तां रक्षिसी आश्‍वासन देता  ॥ ३ ॥

परब्रह्म गुरुदेवा कृपा करी आता
शरण तुजसी आलो तारी अनाथा
भुक्ति-मुक्ति  सद्गती  देई भगवंता
गुरुराया अवधूता अवतारी दत्ता  ॥ ४ ॥

२२. धन्य धन्य हो प्रदक्षिणा


धन्य धन्य हो प्रदक्षिणा सद्गुरुरायाची  |
झाली त्वरा सुरवरा विमान उतरायाची  २  ॥ धृ ॥
पदोपदी अपार झाल्या पुण्याच्या राशी  |
सर्वही तीर्थे घडली आम्हां आदिकरूनि काशी  ॥
धन्य धन्य हो...

मृदंग टाळ ढोल भक्त भावार्थ गाती  |
नामसंकीर्तनें ब्रह्मानंदे नाचती  ॥ २ ॥
धन्य धन्य हो...

कोटी ब्रह्महत्या हरिती करिता दंडवत  |
लोटांगण घालिता मोक्ष लोळे पायांत  ॥ ३ ॥
धन्य धन्य हो...

गुरुभजनाचा महिमा न कळे आगमनिगमांसी  |
अनुभव ते जाणती जे गुरुपदिचे रहिवासी  ॥ ४ ॥
धन्य धन्य हो...

प्रदक्षिणा करूनि देह भावे वाहिला  |
श्रीरंगात्मज विठ्ठल पुढे उभा राहिला  ॥ ५ ॥
धन्य धन्य हो...

२१. कोटयावधी अपराधपतित मी शरण आलो तुला


कोटयावधी अपराधपतित  मी   
शरण आलो तुला     |
आई गे सांभाळी गे मला,
रेणुके सांभाळी गे मला  ॥ धृ ॥

तुझी पूजा मी जाणत नाही    ,
कैसे करू गे याला     ॥ १ ॥  आई गे...

मंत्र यंत्र ही तंत्र ही नाही    ,
माहीत नाही गे मला     ॥ २ ॥  आई गे...

गायनपण ही येतच नाही    ,
आळवू कैसे तुला     ॥ ३ ॥  आई गे...

हरि विनवितो तुझिया चरणी,
दास विनवितो तुझिया चरणी  |
करुणा येऊ दे तुला     ॥ ४ ॥  आई गे...

२०. आरती श्रीगुरुदत्ताची, आरती गुरुमाउलीची



आरती श्रीगुरुदत्ताची,  आरती गुरुमाउलीची   
अत्रिनंदना करू वंदना,  ज्योत ही परब्रह्माची     ॥ धृ ॥
आरती श्रीगुरुदत्ताची,  आरती गुरुमाउलीची   

दत्तरूप आहे निर्गुण,  श्रीदत्तांचे चरण सगुण
अर्पूया हो तन मन धन  |  करा गुरुंचे भजन पूजन     ॥
पंचप्राणाची अन् मोक्षाची आरती वल्लभाची     ॥ १ ॥
आरती...

दत्तचरित या हो आळवू,  मनमंदिरी तया साठवू
सदा चिन्तनी नाम घेळवू,  भक्ती प्रीतीने अंग डोलवू     ॥
त्रिगुणाची औदुंबराची  |  आरती अवधूताची     ॥ २ ॥
आरती...

गर्व हरा हो पतितोद्धारा,  तारावे या भवसंसारा
पापी आम्हां तुम्ही उद्धारा,  द्यावा अंकी चरणी थारा     ॥
वदंन करितो चरणी नमितो,  ऐका हाक पतिताची     ॥ ३ ॥
आरती...

दया करावी श्रीगुरुदत्ता,  अवघ्या अवनी तुमची सत्ता
या संसारां  तरण्या आता,  मार्ग दाखवा आम्हास पुढता     ॥
जन्म कृतार्थ करि गुरुनाथा,  श्रद्धा अतंरी दीनाची     ॥ ४ ॥
आरती...

१९. हेरंब शिवकुलदीपका, तुज आरती गणनायका


हेरंब  शिवकुलदीपका,  तुज आरती  गणनायका     ॥ धृ ॥
सिंदुरासुर मर्दूनि,  सुरा सोडविले त्रासातूनि  |
देवगण तुज वंदूनि,  स्वस्थानी गेले हर्षूनि  ॥ १ ॥
हेरंब...

दर्शने तव श्रीपती,  मनःकामना सिद्धीस जाती  |
स्वयप्रंकाशित तू गजवदना,  निरांजन दीप काय तुला  ॥ २ ॥
हेरंब...

मंगलारती गुंफुनि,  ही आरती द्वारकासुत गातो  |
आरती ओवाळीतो,  आरती ओवाळीतो  ॥ ३ ॥
हेरंब...

१८. माते दर्शन मात्रे प्राणी उद्धरिसी

 
माते दर्शन मात्रे प्राणी उद्धरिसी  |
हरीसी पातक अवघें जग पावन करिसी  |
दुष्कर्मी मी रचिल्या पापांच्या राशी  |
हर हर आतां स्मरतों गति होईल कैसी  ॥ १ ॥

जय देवी जय देवी जय गंगामाई  |
पावन करिं मज सत्वर विश्वाचे आई  ॥ धृ ॥

पडले प्रसंग तैशी कर्में आचरलो  |
विषयांचे मोहानें त्यातचि रत झालो  |
ज्याचे योगें दुष्कृत सिंधुंत बुडालो  |
त्यांतून मजला तारिसी ह्या हेतूने आलो  ॥ २ ॥ जय देवी...

निर्दय यमदूत नेती त्या समयी राखी  |
क्षाळी यमधर्माच्या खात्यातील बाकी  |
सत्संगति जन अवघे तारियलें त्वा की  |
उरलों पाहे एकचि मी पतितांपैकी  ॥ ३ ॥ जय देवी...

अघहरणे जय करुणे विनवीतसे भावें  |
नोपेक्षी मज आतां त्वत्पात्री घ्यावे  |
केला पदर पुढें मी मज इतुकें द्यावे  |
जीवें त्या विष्णुच्या परमात्मनि व्हावे  ॥ ४ ॥
जय देवी…

१७. ॐ जय हनुमन्त महाबल


ॐ जय हनुमन्त महाबल,  सखा बंधु स्वामी
प्रभु सखा बंधु स्वामी  |
अंतर्ज्योत जलाओ,  अंतर्ज्योत जलाओ  |
जय अंतर्यामी ॐ जय हनुमन्त हरे  ॥ धृ ॥

नूतन युग अधिनायक,  नूतन पथ दाता  |
प्रभु नूतन पथ दाता  |
मानवमुक्तिविधायक,  मानवमुक्तिविधायक
विश्व सकल गाता  | ॐ जय हनुमन्त हरे  ||

सौम्य वदन अतिसुंदर,  मंगल मितभाषी  |
प्रभु मंगल मितभाषी
सौम्य स्वरूप सनातन,  सौम्य स्वरूप सनातन
सहृदय सुखराशि  | ॐ जय हनुमन्त हरे  ||

प्रचंड बजरंगी बाहुथी,  असुर दलो थथरे
प्रभु असुर दलो थथरे  |
रंक जनो आतंके,  रंक जनो आतंके
तब एके उगरे  | ॐ जय हनुमन्त हरे  ||

सर्व लोकमा अगाध गति तव,  ज्ञान अगाध अपार,
प्रभु ज्ञान अगाध अपार  |
परब्रह्म पुरुषोत्तम केरा,  परब्रह्म पुरुषोत्तम केरा,
प्रगट प्रेम साकार  | ॐ जय हनुमन्त हरे  ||

राजधर्म सेवानुं संगम,  अभिनव रचो अनंत  |
प्रभु अभिनव रचो अनंत  |
मिलींत कंठे मानव सहुगावे,
मिलींत कंठे मानव सहुगावे  |
जय जय जय हनुमन्त  | ॐ जय हनुमन्त हरे  ||

 
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