Monday 18 August 2014

१६.येई हो विठ्ठले माझे


येई हो विठ्ठले माझे माउलीये  ॥

निढळावरी कर ठेवुनि वाट मी पाहें  ॥ धृ ॥


आलिया गेलिया हातीं धाडी निरोप  ॥

पंढरपुरी आहे माझा मायबाप  ॥ १ ॥

येई हो विठ्ठले...


पिवळा पीतांबर कैसा गगनी झळकला  ॥

गरुडावरी बैसोनि माझा कैवारी आला  ॥ २ ॥

येई हो विठ्ठले...


विठोबाचे राज्य आम्हां नित्य दिपवाळी  ॥

विष्णुदास नामा जीवें भावें ओवाळी  ॥ ३ ॥

येई हो विठ्ठले...


असो नसो भाव आम्हां तुझिया ठाया  |

कृपादृष्टि पाहे माझ्या पंढरीराया  ॥ ४ ॥

येई हो विठ्ठले...

१५. जय देवी सप्तश्रृंगा अंबा गौतमी


जय देवी सप्तश्रृंगा अंबा गौतमी गंगा
नटली ही बहुरंगा उटी शेंदुर अंगा
जय देवी सप्तश्रृंगा  ॥ धृ ॥

पूर्व मुख अंबे ध्यान जरा वाकडी मान
मार्कंडेय देई कान सप्तशतीचे पान
एके अंबा गिरि श्रृंगा,  अंबा गौतमी गंगा
जय देवी सप्तश्रृंगा  ॥ १ ॥

माये तुझा बहु थाट देई सगुण भेट
प्रेम पान्हा एक घोट भावे भरले पोट
करू नको मनभंगा,  अंबा गौतमी गंगा
जय देवी सप्तश्रृंगा  ॥ २ ॥

महिषीपुत्र म्हैसासुर दृष्टी कामे असुर
करि दाल समशेर क्रोधे उडविली शिर
शिवशक्ती शिवगंगा,  अंबा गौतमी गंगा
जय देवी सप्तश्रृंगा  ॥ ३ ॥

निवृत्ति हा राधासुत अंबे आरती गात
अठराही तुझे हात भक्तां अभय देत
चरणकमल मनभंगा,  अंबा गौतमी गंगा
जय देवी सप्तश्रृंगा  ॥ ४ ॥

१४. जय जय भवानी, मनरमणी


जय जय भवानी,  मनरमणी,  मातापुरवासिनी  |
चवदा भुवनांची स्वामिनीमहिषासुरमर्दिनी  |
जय जय भवानी  धृ

नेसूनि पाटाऊपिवळा हार शोभती गळा  |
हाती घेऊनिया त्रिशूळा भाळी कुंकुम टिळा 
जय जय भवानी 

अंगी लेवूनिया काचोळीवर मोत्याची जाळी  |
हृदयी शोभतसे,  पदकमळी कंठी हे गरसोळी 
जय जय भवानी 

पायी घागरियाघूळघूळ नाकी मुक्ताफळ  |
माथा केश हे कुरळनयनीही काजळ 
जय जय भवानी   

सिंहावरी तू बैसून मारिसी दानवगण  |
तुजला विनवितीनिशिदिन गोसाविनंदन 
जय जय भवानी 

१३. महिषासुरमर्दिनीमातेची आरती


माते गायत्री, सिंहारूढ भगवती - महिषासुरमर्दिनी,
क्षमस्व चण्डिके  |
जय दुर्गे,  अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ १ ॥

प्रतिपदा,  घोररूप महाकाली - असुरों को भयकारी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे,  अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ २ ॥

द्वितीया,  कनकांगी महालक्ष्मी - सर्वविघ्ननाशिनी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ३ ॥

तृतीया, महासरस्वती राज्ञी - सर्वरोगनाशिनी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ४ ॥

चतुर्थी, रक्तदन्तिका योगिनी - असुररक्तप्राशिनी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ५ ॥

पंचमी, नीलवर्ण शताक्षी - अन्नजलदायिनी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ६ ॥
षष्ठीते, श्रीरामवरदायिनी - अशुभनाशिनी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ७ ॥

सप्तमी, नन्दिनी गर्भदायिनी - श्रीकृष्णतारिणी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ८ ॥

अष्टमी, दत्तमंगला चण्डिका - श्रीगुरुभक्तिरूपा,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ९ ॥
 
नवमी, नित्या मन्त्रमालिनी - कलिमलहारिणी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ १० ॥

कृपा करो, अशुभ हरो - हे वज्रमंडलराज्ञी,
रक्ष चण्डिके  |
जय दुर्गे, अखिल विश्‍व की जननी मॉं
उदे,  उदे,  उदे,  उदे,  उदे  ॥ ११ ॥

१२. धरियेले गे माय श्रीदत्तगुरुंचे पाय




 धरियेले गे माय श्रीदत्तगुरुंचे पाय
माये दत्तगुरुंचे पाय  |
अनसूये सांग तुजविण कोण करी उपाय  धृ  

दत्तगुरुंची आज्ञा हेचि तुझे मूळ रूप
माये तुझे मूळ रूप  |
महाविष्णुसी सांभाळिसी तू मांडीवर घेऊन 
धरियेले गे माय....

लक्ष्मी पार्वती सरस्वतीसी देसी आश्रय
माये देसी आश्रय  |
त्यांचे पति देऊनि करिसी प्रपंच प्रतिपाळ 
धरियेले गे माय....

वनवासासी निघता जानकी चूडामणि दिधला
माये चूडामणि दिधला  |
हनुमंताच्या हातूनि पुन्हा रामा पावला 
धरियेले गे माय.... 

जय माते जय त्राते भरवी घास गे मजला
माये घास गे मजला  |
आरती करितो अनिरुद्ध हा तुझा तान्हुला 
धरियेले गे माय....

Sunday 17 August 2014

११. दुर्गे दुर्घट भारी

दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी  |
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी  ॥
वारी वारी जन्ममरणांतें वारी  |
हारी पडलो आता संकट निवारी  ॥ १ ॥

जय देवी जय देवी महिषासुरमर्दिनी  |
सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी  ॥ धृ ॥

त्रिभुवनभुवनी पाहता तुजऐसी नाही  |
चारी श्रमले परंतु न बोलवे कांही  ॥
साही विवाद करिता पडिले प्रवाही  |
ते तूं भक्तांलागी पावसि लवलाही  ॥ २ ॥  जय देवी...

प्रसन्नवदने प्रसन्न होसी निजदासा  |
क्लेशांपासुनि सोडवी तोडी भवपाशा  ॥
अंबे तुजवांचून कोण पुरविल आशा  |
नरहरि तल्लीन झाला पदपंकजलेशा  ॥ ३ ॥  जय देवी...



१०. युगे अठ्ठावीस

युगे अठ्ठावीस विटेवरी उभा  |

वामांगी रखुमाई दिसे दिव्य शोभा 

पुंडलिकाचे भेटि परब्रह्म आले गा 

चरणी वाहे भीमा उद्धारी जगा 



जय देव जय देव जय पांडुरंगा,  हो हरि पांडुरंगा 

रखुमाईवल्लभा राईच्या वल्लभा पावे जिवलगा  धृ



तुळसीमाळा गळां कर ठेवुनि कटीं |

कांसे पीतांबर कस्तुरी लल्लाटी 

देव सुरवर नित्य येती भेटी 

गरुड हनुमंत पुढे उभे राहती    जय...



धन्य वेणूनाद अनुक्षेत्रपाळा 

सुवर्णाची कमळे वनमाळा गळां 

राई रखुमाबाई राणीया सकळा 

ओवाळीती राजा विठोबा सावळा    जय...



ओवाळू आरत्या कुर्वंड्या येती  |

चंद्रभागेमाजी सोडुनिया देती 

दिंड्या पताका वैष्णव नाचती 

पढंरीचा महिमा द्वारकेचा महिमा वर्णावा किती 

जय...

आषाढी कार्तिकी भक्तजन येती,  हो साधुजन येती  ॥
चंद्रभागेमाजीं स्नानें जे करिती  ॥
दर्शनहेळामात्रें तयां होय मुक्ती  ॥
केशवासी नामदेव, माधवासी नामदेव
भावें ओंवाळिती  ॥ ५ ॥  जय...





 
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