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Wednesday 13 August 2014

६. आरती साईबाबा


६. आरती साईबाबा

आरती साईबाबा  |  सौख्यदातारा जीवा  |
चरणरजातळीं  |  द्यावा दासां विसांवा  |
भक्तां विसांवा  | आरती साईबाबा  ॥ धृ ॥

जाळुनियां अनंग  |  स्वस्वरूपीं राहे दंग  |
मुमुक्षुजनां दावी  |  निज डोळां श्रीरंग ॥
आरती साईबाबा  ॥ १ ॥

जया मनीं जैसा भाव  |  तया तैसा अनभुव  |
दाविसी दयाघना  |
ऐसी तुझी ही माव॥
आरती साईबाबा  ॥ २ ॥

तुमचें नाम ध्यातां  |  हरे संसृती व्यथा  |
अगाध तव करणी  |
मार्ग दाविसी अनाथा ॥
आरती साईबाबा  ॥ ३॥

कलियुगीं अवतार  |  सगुण ब्रह्म साचार  |
अवतीर्ण जाहलासे  |  स्वामी दत्तदिगंबर॥
आरती साईबाबा   ॥ ४ ॥

आठां दिवसां गुरुवारीं भक्त करिती वारी  |
प्रभुपद पहावया  | भवभय निवारी ॥
आरती साईबाबा  ॥ ५ ॥


माझा निजद्रव्य ठेवा  | तव चरणरजसेवा  |
मागणें हेंचि आतां  | तुम्हां देवाधिदेवा ॥
आरती साईबाबा  ॥ ६ ॥

इच्छित दीन चातक  |  निर्मळ तोय निजसुख  |
पाजावें माधवा या  |  सांभाळ आपुली ही भाक ॥
आरती साईबाबा  ॥ ७ ॥

५. आरती करितो हनुमंताची


५.  आरती करितो हनुमंताची

आरती करितो हनुमंताची दासानुदास
हो देवा दासानुदास |
धडधडत येई धडधडत येई
घेऊनी द्रोणागिरी पर्वत  ॥ धृ ॥ 

एका क्षणे उडी मारूनी, समुद्र पालाणिला |
हो देवा समुद्र पालाणिला |
काया वाचा मने, काया वाचा मने,
राया श्रीराम स्मरिला  ॥ आरती ॥ १ ||

अष्टसिद्धी नौनिधी,  तुझे आज्ञांकित,
हो देवा तुझे आज्ञांकित |
निर्मोही तवचित्त,  निर्मोही तवचित्त,
साधो तू पूर्ण मुक्त  ॥ आरती ॥ २ ॥

दुष्टवासना, असत्य क्रीडा, कलियुगी संचरती |
हो देवा कलियुगी संचरती |
तुझे नाम स्मरता, तुझे नाम स्मरता |
वीरा क्षणात विरघळती  ॥ आरती ॥ ३ ॥

Friday 8 August 2014

४. हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ


४. हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ

हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ    |
आरती उतारूँ तनमन वारूँ    |
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ    ॥ धृ


कनक सिंहासन राजत जोरी   ,
दशरथनंदन जनककिशोरी   
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ    ॥ १ ॥

वामभाग शोभित जगजननी   ,
चरण विराजत है सुतअंजनी  
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ    ॥ २ ॥

छन छन प्रति यह रूप निहारूँ   ,
प्रभु पद कंचन नकै बिसारूँ    |
सुंदरतापर त्रिभुवन वारूँ   ,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ    ॥ ३ ॥

आरती उतारूँ तनमन वारूँ    |
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ    ॥

3. सुखकर्ता दुःखहर्ता


3.  सुखकर्ता दुःखहर्ता

सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची |


नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची ॥


सर्वांगी सुंदर उटि शेंदुराची |


कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची ॥ १ ॥





जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती 


हो श्रीमंगलमूर्ती |




दर्शनमात्रें मनकामना पुरती ॥ धृ ॥


रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा |


चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा |


हिरेजडित मुकुट शोभतो बरा |


रूणझुणती नुपुरें चरणीं घागरिया ॥ २ ॥ जय देव...


लंबोदर पीतांबर फणिवरबंधना |


सरळसोंड वक्रतुंड त्रिनयना ॥


दास रामाचा वाट पाहे सदना |


सकंटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवरवंदना ॥ ३ ॥ 


जय देव...

२. त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ति


२.   त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ति


त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ति दत्त हा जाणा |

त्रिगुणी अवतार त्रैलोक्यराणा |

नेति नेति शब्द न ये अनुमाना |

सुरवर मुनिजन योगी समाधिले ध्याना ॥ १ ॥


जयदेव जयदेव जय श्रीसद्गुरुदत्ता |

आरती ओवाळीतां हरसि भवचिंता ॥ धृ ॥



सबाह्यअभ्यंतरीं तूं एक दत्त |

अभाग्यासी कैसी न कळे ही मात |

पराही परतली कैचा हा हेत |

जन्ममरणाचा पुरला असे अंत ॥ २ ॥ जय देव...


दत्त येऊनीयां उभा ठाकला |

सद्भावें साष्टांगें प्रणिपात केला |

प्रसन्न होऊनिया आशीर्वाद दिधला |

जन्ममरणाचा फेरा चुकवीला ॥ ३ ॥ जय देव...


दत्त दत्त ऐसे लागलें ध्यान |

हरपलें मन झालें उन्मन |

मी तूं पणाची झाली ओसण |

एका जनार्दनी श्रीदत्त ध्यान ॥ ४ ॥ जय देव...

१. उभे राहूनी सर्व आता आरती करूया


१. उभे राहूनी सर्व आता आरती करूया

उभे राहूनी सर्व आता आरती करूया     |

प्रेमभावे दत्ताला शरण जाऊया - 2    ॥ धृ ॥

पंचारती लावूनी आता स्वरूप पाहूया    |
ब्रह्मानंदी लीन होऊनी आनंद भोगूया - 2    ॥१॥

उभे राहूनी सर्व आता आरती करूया     |
प्रेमभावे दत्ताला शरण जाऊया - 2     ॥ धृ ॥

ऐसी विनंती करी आता सर्व जनासी    |
दीप लावुनी हरि उभा दत्तचरणासी - 2   ॥२॥

उभे राहूनी सर्व आता आरती करूया     |
प्रेमभावे दत्ताला शरण जाऊया - 2    ॥ धृ ॥

 
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