६. आरती साईबाबा
आरती साईबाबा | सौख्यदातारा जीवा |
चरणरजातळीं | द्यावा दासां विसांवा |
भक्तां विसांवा | आरती साईबाबा ॥ धृ ॥
जाळुनियां अनंग | स्वस्वरूपीं राहे दंग |
मुमुक्षुजनां दावी | निज डोळां श्रीरंग ॥
आरती साईबाबा ॥ १ ॥
जया मनीं जैसा भाव | तया तैसा अनभुव |
दाविसी दयाघना |
ऐसी तुझी ही माव॥
आरती साईबाबा ॥ २ ॥
तुमचें नाम ध्यातां | हरे संसृती व्यथा |
अगाध तव करणी |
मार्ग दाविसी अनाथा ॥
आरती साईबाबा ॥ ३॥
कलियुगीं अवतार | सगुण ब्रह्म साचार |
अवतीर्ण जाहलासे | स्वामी दत्तदिगंबर॥
आरती साईबाबा ॥ ४ ॥
आठां दिवसां गुरुवारीं भक्त करिती वारी |
प्रभुपद पहावया | भवभय निवारी ॥
आरती साईबाबा ॥ ५ ॥
माझा निजद्रव्य ठेवा | तव चरणरजसेवा |
मागणें हेंचि आतां | तुम्हां देवाधिदेवा ॥
आरती साईबाबा ॥ ६ ॥
इच्छित दीन चातक | निर्मळ तोय निजसुख |
पाजावें माधवा या | सांभाळ आपुली ही भाक ॥
आरती साईबाबा ॥ ७ ॥
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